बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन को कौन नहीं जानता है. आज इनते सालों के बाद भी बॉलीवुड में उनका वही नाम है. लोग उन्हें आज भी उनके काम से जानते हैं. अमिताभ ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया है. अमिताभ बच्चन का करियर बहुत ही शानदार रहा है. अमिताभ बच्चन के करियर में कई ऐसे किस्से हुए हैं. जो याद रखने वाले हैं. ऐसे ही उनेक करियर में एक ऐसा किस्सा हुआ था जब उन्होंने राष्ट्रपित भवन का नियम बदलवा दिया था.
राष्ट्रपित भवन के इस नियम को बदलवाया था
फिल्म मैं आज़ाद हूं की शूटिंग के दौरान अमिताभ बच्चन और शबाना आज़मी एक साथ काम कर रही थी. इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही शबाना ने अमिताभ बच्चन से ऐसे ही बेठे हुए बातों बातों में एक सवाल पूछा, क्या उन्होंने एक एमपी रहते हुए कुछ बदलाव किए हैं? अमिताभ को कुछ ही दिन हुए थे राजनीति से लौटे हुए. इस बात पर अमिताभ ने शबाना को जवाब देते हुए कहा कि वो उनको एक किस्सा सुनाएंगे.

किस्से को सुनाते हुए अमिताभ बच्चन ने बताया, ‘एक बार मैं राष्ट्रपति भवन डिनर करने के लिए गया था. खाना खाने के लिए सभी लोग एक मेज पर बैठे साथ में अमिताभ बच्चन भी मेज पर बैठे, बैठने के बाद सबको खाने के लिए प्लेट दी गई. जो प्लेट खाने के लिए दी गई थी उस पर अशोक स्तंभ बना हुआ था. अमिताभ बच्चन को यह चीज़ पसंद नहीं आई. इस बात को संसद में रखते हुए अमिताभ बच्चन ने कहा कि प्लेट पर राष्ट्रिय स्तंभ बना हुआ जो कि एक अपमान वाली बात है. अमिताभ ने बताया कि इसके कुछ ही दिन बाद कानून पास किया गया जिसमे कहा गया कि खाने की प्लेटों पर अशोक स्तंभ का निशान नहीं होगा. इस बात को पूरा करते हुए उन्होंने शबाना आज़मी को बताया कि उन्हें इस बात का ख्याल इंदर राज आनंद के साथ बात चीत करके आया था.
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अमिताभ बच्चन का सक्सेसफुल करियर
अमिताभ बच्चन ने अपने करियर की शुरूआत एक अभिनेता के तौर पर फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी से की थी. डेब्यू के बाद उन्होंने कई फिल्में मिली, और उन्होंने काम भी किया लेकिन उन्हें कोई खास सफलता हाथ नहीं लग सकी. इसके बाद फिल्म जंज़री ने उनके करियर को एक अलग राह दी. इसके बाद उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में की, धीरे धीरे उनके करियर का ग्राफ बढ़ता गया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

वहीं उनकी कुछ हिट और शानदार फिल्मों की बात करें तो, जंजीर, अभिमान, सौदागर, चुपके चुपके, दीवार, शोले, कभी कभी, अमर अकबर एंथनी, त्रिशूल, डॉन, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, लावारिस, सिलसिला, कालिया, सत्ते पे सत्ता, नमक हलाल, शक्ति, कुली, शराबी, मर्द, शहंशाह, अग्निपथ, खुदा गवाह, मोहब्बतें, बागबान, ब्लैक, वक्त, सरकार, चीनी कम, भूतनाथ और इसके अलावा कई और फिल्मों ने उनके करियर को चार चांद लगा दिए थे.