साल 2016 में आई आमिर खान की फिल्म दंगल तो आपको याद ही होगी. इस फिल्म की कहानी आधारीत थी दो बहनें गीता फोगाट और बबीती फोगाट. यह फिल्म उस समय की एक सुपरहिट फिल्म थी. लेकिन आज फिल्म की बात नहीं करेगें. बल्कि बात करेगें गीता और बबीत की पहन रीतीका की, जो हार बर्दाश्त नहीं कर सकी थी, और उसने आत्महत्या कर ली थी.
पहलवानी की दुनिया में गीता और बबीता दोनों ही बड़ा नाम है. और इन दोनों की तरह ही इनकी ममेरी बहन रीतीका भी एक कुश्ती प्लेयर थीं. हालंकि वो जूनियर लेवल पर खेल रहीं थीं. और उनका अपने दोनों बहनों की तरह ही बड़ सपना था – अपने देश का नाम रौशन करना, कुश्ती में एक बड़ा मुकाम हासिल करना.
और इन सबके के लिए वो जी तोड़ मेहनत कर रही थीं. और एक बार जब वो स्टेट लेवल जूनियर कॉम्पटीशन खेल रही थीं, तब फाइनल में पहुंचकर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. और रीतीका ये हार बर्दाश्त नहीं कर सकीं और 17 मार्च 2021 को पंखे से लटक कर उन्होंने खुदखुशी कर ली थी.
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बहरेहाल, हार और जीत किसी भी खेल का एक हिस्सा है. लेकिन खेल में हार मिलने का ये कतई मतलब नहीं होता की हम ज़िंदगी से हार गए हों, क्योंकि ज़िंदगी हमें जीतने के और भी कई मौके देती है. बस शर्त ये होता है की हम अपनी जिंदगी से हार ना मानें.